जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 वर्षीय बच्ची के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले ने देश को भले झकझोर दिया है लेकिन सरकारों को अब तक कोई फर्क नहीं पड़ा है और इस मामले को साम्प्रदायिक रंग देकर इससे सियासी लाभ हासिल करने की कोशिशें चल रही हैं। लेकिन जिस तरह आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता उसी तरह बलात्कार और हत्या जैसा जघन्य अपराध करने वाले का भी कोई धर्म नहीं होता। यदि किसी हिंद ने यह जघन्य अपराध किया है तो वह हिंदू नहीं राक्षस है और कानून को उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलानी चाहिएलेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस मामले को ना सिर्फ हिन्दू बनाम मुसलमान बल्कि जम्मू बनाम कश्मीर भी बनाया जा रहा है। सचमुच यह घोर कलियुग है कि एक बच्ची के शरीर और उसकी आत्मा को मंदिर के अंदर कुछ लोगों ने मिलकर नोचा। निश्चित रूप से उस अबोध की चीखों को सुनकर मानवता के साथ-साथ मंदिर में मौजूद माँ दुर्गा की प्रतिमा भी रोई होगी, शर्म से झुक गया होगा खुद भगवान का चेहरा अपने द्वारा बनाये मनुष्यों की इस क्रूरता को देखकर। आखिर किस मुँह से वह पुजारी देवी की पूजा करता होगा जिसके कान अबोध बालिका की चीखों को मस्ती के साथ सुनते रहे। जो पुलिस वाले इस हत्या और बलात्कार मामले में सहभागी रहे कहां खो गया था उनका वो जिम्मेदारी भरा अहसास जो वर्दी पहनते समय उन्हें बताया गया था। कहां चला गया उन वकीलों का कर्तव्य जो न्याय की लडाई अदालतों में लड़ने की बजाय आरोपियों के बचाव में सड़कों पर लड़ने के लिए आ गये। कहां चली गयी उस सरकार की आवाज जो %बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' का नारा चौबीसों घंटे लगाने से नहीं चूकती ? क्यों चुप हो गये हर मुद्दे पर ट्विटर पर अपनी राय जाहिर करने वाले प्रधानमंत्री ? संवैधानिक दृष्टि से देखें तो यह अपने आप में हैरत की बात है कि बौद्धिक वर्ग से ताल्लुक रखने वाले वकील अपना कर्तव्य भूल गये और पुलिस को आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने से रोकने का प्रयास कियाशायद पहली बार हआ होगा कि अदालत में जज पांच घंटे तक इंतजार करते रहे कि आरोपपत्र दाखिल हो जाये। यही नहीं स्थानीय बार एसोसिएशन ने आरोपियों के पक्ष में प्रदर्शन करते हुए बंद का भी आह्वान कियाउनका कहना है कि पुलिस की कार्रवाई %अल्पसंख्यक डोगरा समदाय% को निशाना बनाने के लिए की जा रही है इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए जबकि राज्य सरकार का कहना है कि राज्य पलिस जांच करने में सक्षम है और मामले की जांच अपराध शाखा ठीक से कर रही है। भाजपा कहती बहुत है, करती कुछ नहीं भाजपा ने चुनावों के समय नारा दिया था- महिला के सम्मान में भाजपा मैदान में% और जब सत्ता में आई तो नारा दिया- %बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, लेकिन आज इन नारों का अर्थ बदल गया है। बेटी बचाओ अब चेतावनी बन गया है और नारा बना है- बेटी छिपाओ। भाजपा बातें तो बड़ी-बड़ी करती है और महात्मा गांधी का अनुसरण करने की बात कहती है लेकिन क्या आज तक कोई भाजपा नेता उस पीड़ित परिवार से मिलने गया? भाजपा के नेताओं को तो यह बैठे बिठाये अपनी राजनीति चमकाने का मौका मिल गया है। यह मामला चाहे हिंदू बनाम मुसलमान हो जाये या फिर जम्मू बनाम कश्मीर, फायदा भाजपा को ही होगा। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जम्मू ने भाजपा का पूरा साथ दिया था लेकिन पार्टी अपना कोई भी वादा पूरा करने में सफल नहीं रही जिसको देखते हुए क्षेत्र में भाजपा के प्रति आक्रोश है। अब इस मामले के सामने आने के बाद भाजपा खामोश है ताकि जम्मू के लोग समझें कि पार्टी उनके साथ है। यदि %न्याय% का समर्थन किया तो भाजपा को लेने के देने पड़ सकते हैं। वाह क्या राजनीति है? क्या महिलाओं का सम्मान है? मोदी सरकार के 50 से ज्यादा मंत्रियों में से मात्र एक मंत्री वीके सिंह ने यह कहने की अब तक हिम्मत दिखाई है कि आसिफा के लिए हम इंसान के रूप में नाकाम रहे, लेकिन उसे इंसाफ ज़रूर मिलेगा... । कांग्रेस के कैंडल मार्च ने मुद्दे को गरमाया कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कठुआ और उन्नाव मामले के विरोध में मध्यरात्रि को इंडिया गेट पर कैंडल मार्च निकाल कर इस मुद्दे को गरमा दिया है और निश्चित रूप से केंद्र सरकार पर अब दबाव बढ़ गया है कि आरोपियों को न्याय के कठघरे में जल्द से जल्द लाया जाये। कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने के चलते अब देश भर में नारीवादी संगठनों का आंदोलन तेज होगा और भाजपा सरकारों पर दबाव बढ़ेगा कि वह महिला सुरक्षा की सिर्फ बातें करने की बजाय कुछ ठोस भी करके दिखाये। गौरतलब है कि इस बच्ची को जनवरी में एक हफ्ते तक कठुआ जिला स्थित एक गांव के एक मंदिर में बंधक बना कर रखा गया था और उससे छह लोगों ने कथित तौर पर बलात्कार किया था। जम्मू कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा की ओर से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 15 पृष्ठों का आरोपपत्र में इस बात का खुलासा हुआ है कि बकरवाल समुदाय की बच्ची का अपहरण, बलात्कार और हत्या इलाके से इस अल्पसंख्यक समुदाय को हटाने की एक सोची समझी साजिश का हिस्सा थी। इसमें कठुआ स्थित रासना गांव में देवीस्थान, मंदिर के सेवादार को अण्डमा के पीछे मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। सांझी राम के साथ विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, मित्र परवेश कुमार उर्फ मन्नू, राम का किशोर भतीजा और उसका बेटा विशाल जंगोत्रा उर्फ शम्मा कथित तौर पर शामिल हुए। आरोपपत्र में जांच अधिकारी (आईओ) हेड कांस्टेबल तिलक राज और उप निरीक्षक आनंद दत्त भी नामजद हैं जिन्होंने राम से कथित तौर पर चार लाख रुपए लिए और अहम सबूत नष्ट किए। आरोपपत्र में कहा गया है कि बच्ची का शव बरामद होने से छह दिन पहले 11 जनवरी को किशोर ने अपने चचेरे भाई जंगोत्रा को फोन किया था और मेरठ से लौटने को कहा था, जहां वह पढ़ाई कर रहा था। दरअसल, उसने उससे कहा कि यदि वह मजा लूटना चाहता है तो आ जाए। आठ वर्षीय बच्ची 10 जनवरी को लापता हो गई थी जब वह जंगल में घोड़ों को चरा रही थी। जांचकर्ताओं ने कहा कि आरोपियों ने घोड़े ढूंढने में मदद करने के बहाने लड़की को अगवा कर लिया। अपनी बच्ची के लापता होने के अगले दिन उसके माता पिता देवीस्थान गए और राम से उसका अता पता पूछा।
हत्यारों तुमने शरीर ही नहीं आत्मा को भी नोच डाला