प्रतापगढ। लखनऊ-बनारस रेलमार्ग पर पड़ने वाले जिले के जगेशरगंज. पथ्वीगंज व दांदपर रेलवे स्टेशन के दिन जल्द ही बहरने वाले हैंविभाग की ओर से इन तीनों स्टेशन के लिए 1.31 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इससे प्लेटफार्म, वाटर वेंडिंग मशीन और यात्रियों के लिए प्रताक्षालय आद का व्यवस्थाए का जाएगा। जनपद के प्रतीक्षालय आदि की व्यवस्थाएं की जाएंगी। जनपद के रानागज तहसील में पडने वाला दादूपुर और सदर विकास खड के पृथ्वागज और जगेशरगंज रेलवे स्टेशन वर्षों से बदहाल पड़े हैं। यहां यात्रियों सुविधाओं के नाम पर फूटी कौड़ी रेलवे की ओर से नहीं मिल रही थी। रात में इन स्टेशनों पर जाने से भी यात्री डरते हैं। ठंडी, गर्मी और बरसात के दिनों में खुले में बैठकर यात्रियों को ट्रेनों की प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। इस ओर किसी का ध्यान नहीं पड़ रहा था। सांसद हरिवंश सिंह ने रेल मंत्री से मिलकर तीनों स्टेशनों की समस्याएं बताईं सांसद की मांगों पर रेलमंत्री ने मुहर लगा दिया और बदहाली का दंश झेल रहे तीनों स्टेशनों की सूरत बदलने के लिए 1.31 करोड़ का बजट दिया है। रेलवे के अफसरों ने दांदूपुर रेलवे स्टेशन पर एक अतिरिक्त प्लेटफार्म बनाने के साथ ही सौंदर्गीकरण कराने का जहां लक्ष्य रखा है, वहीं पृथ्वीगंज और जगेशरगंज रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के बैठने के लिए प्रतीक्षालय, शौचालय त ताटर वेंडिंग मशीन लगाने के साथ ही एक- एक प्लेटफार्म बनवाए जाएंगे तीनों स्टेशनों पर लाइटिंग की भी व्यवस्था की जाएगी। जिससे रात में आने व जाने वाले यात्रियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो। रेलवे के अफसरों की मानी जाए तो सबकुछ ठीकठाक रहा तो 2019 तक तीनों स्टेशनों की सूरत बदली नजर आएगी। पृथ्वीगंज, जगशरगज आर दादूपुर रलव स्त जगेशरगंज और दादूपुर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों का पाना क लिए भटकना पड़ता है। उनक बठने कलिए शड भा नहीं बना है। एक ही प्लेटफार्म है। जबकि तीन लाइन बिछाई गई हैं। कभी-कभार तो तीन नंबर लाइन पर ट्रेनें जाकर खड़ी हो जाती हैं। इससे यात्रियों को चढने और उतरने में दिक्कतें होती हैं। सुरक्षा के नाम पर कोई बंदोबस्त नहीं किया गया है। यही हाल पृथ्वीगंज का है। जगेशरगंज रेलवे स्टेशन पर भी यात्री सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। वाराणसी-लखनऊ रेल खंड पर पड़ने वाले दादूपुर, पृथ्वीगंज और जगेशरगंज रेलवे स्टेशन पर भले ही यात्रियों के लिए किसी प्रकार की सुविधा नहीं है, मगर प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन के पहले यहां इलेक्ट्रिक सिग्नल को चालू कर दिया गया। इतना जरूर होता है कि जब स्टेशन मास्टर को यह पता चलता है कि ट्रेन आने वाली है तब बिजली न रहने पर जनरेटर चलाकर सिग्नल को ऑन किया जाता है।
1.31 करोड़ से तीन रेलवे स्टेशन की बदलेगी सूरत